म्यूजिक लाइसेंस जिसे हम संगीत लाइसेंस भी कहते हैं। जब किसी भी व्यवसायिक इकाई जैसे होटल, पब, रेस्टोरेंट, या कोई भी सार्वजनिक स्थान पर हम पहले से रिकॉर्ड किये हुए गाने को बजाते हैं तो उसके लिए हमें राइट्स लेने की ज़रूरत होती हैं। ये राइट ही म्यूजिक लाइसेंस कहलाता हैं।
कॉपीराइट अधिनियम 1957 के अनुसार किसी भी रेस्तरां, होटल, पब, बार अगर कोई पहले से रिकार्डेड गाना आने यहाँ बजाते हैं तो इसके लिए उन्हें म्यूजिक लाइसेंस लेना जरूरी होता हैं। अन्यथा उनके ऊपर कानूनी करवाई भी की जा सकती हैं।
कोई भी गाना किसी न किसी कि प्रॉपर्टी होती हैं और उसके पास इसका कॉपी राइट होता हैं। बिना उसके इज़ाज़त के हम उनके गाने को किसी भी व्यावसायिक स्थान पर नही बजा सकते हैं।
म्यूजिक लाइसेंस कहाँ से बनाये ?
पूरे भारत में दो ऐसी संस्था हैं जो म्यूजिक लाइसेंस ज़ारी करती हैं। पीपीएल (फोनोग्राफिक परफॉरमेंस लिमिटेड ) और आईपीआरएस ( इंडियन परफार्मिंग राइट सोसाइटी ) । ये दो संस्था हैं जो अलग अलग प्रकार के म्यूजिक लाइसेंस प्रदान करती हैं।
PPL और IPRS में बेसिक क्या फ़र्क हैं ?
PPL उन व्यवसायिक इकाई को लाइसेंस ज़ारी करती हैं जो अपने व्यवसायिक स्थान पे पहले से रिकॉर्ड किये हुए गाने को बजाना चाहता हैं। वही IPRS उनको लाइसेंस देती हैं जो अपने परिसर में लाइव कॉन्सर्ट के उद्देश्य से किसी सिंगर को अपने यहाँ रखना चाहता हैं।
संगीत लाइसेंस कितने प्रकार का होता हैं ?
संगीत लाइसेंस मुख्यतः छह प्रकार का होता हैं हर प्रकार के अंतर्गत अलग अलग राइट्स दिए जाते हैं।
01. Syncronization License या सिंक लाइसेंस
इसके अंतर्गत म्यूजिक के साथ साथ वीडियो भी होता हैं इस तरह के समन्वय को सिंक लाइसेंस के अंतर्गत रखा गया हैं। इस तरह के लाइसेंस टीवी विज्ञापन, विज्ञापन एजेंसियों, फ़िल्म स्टूडियो वाले सिंक लाइसेंस रखते हैं।
02. Machenical License ( यांत्रिक लाइसेंस )
इस लाइसेंस के अंतर्गत जब हम किसी कलाकर के गाने का सीडी निर्माण करते हैं और लोगों तक प्रचार प्रसार करते हैं। साथ ही रीमिक्स करने के लिए भी इस लाइसेंस की आवश्यकता होती हैं।
03. मास्टर लाइसेंस
मास्टर लाइसेंस के अंतर्गत ऑडियो और वीडियो दोनों को उपयोग करने की अनुमति दी जाती हैं लेक़िन फिर से रिकॉर्ड करने की अनुमति नही दी जाती हैं।
04. Public Performance License ( सार्वजनिक प्रदर्शन लाइसेंस )
इस लाइसेंस उनको दिया जाता हैं जो जूक बॉक्स बनाते हैं या फिर जो सार्वजनिक प्रदर्शन करते हैं जैसे संगीत कार्यक्रम।
05. Print Right License ( प्रिंट अधिकार लाइसेंस )
इस लाइसेंस के अंतर्गत किसी के कॉपीराइट गानों को प्रिंट करने का अधिकार दिया जाता हैं। जैसे हम गानों का बुक जिसमे बहुत सारे गाने एक साथ प्रिंट होता हैं।
06. Theatrical License ( नाट्य लाइसेंस )
इस लाइसेंस के अंतर्गत किसी के द्वारा लिखित नाटक को स्टेज पे पब्लिक के सामने प्रस्तुत करने कि अनुमति प्रदान करता हैं।
लाइसेंस लेने के फायदे क्या हैं ?
लाइसेंस लेने के कई फ़ायदे हैं सबसे पहला कि जो मूल कलाकार हैं उनके हितों की रक्षा होती हैं।
आपके व्यावसायिक स्थान के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ता हैं।
आप बेझिझक गानों को बजा सकते हो। आपको किसी प्रकार का डर नही रहता हैं न ही जुर्माना का डर।
लाइसेंस के बिना पकड़े जाने पर कानूनी करवाई से बच सकते हैं।
म्यूजिक लाइसेंस लेने के लिए क्या क्या डॉक्यूमेंटस की ज़रूरत होती हैं
म्यूजिक लाइसेंस लेने के लिए निम्न Documents (दस्तावेजों) की ज़रूरत होती हैं।
- पर्सनल इनफार्मेशन ( नाम, पता, राष्ट्रीयता )
- व्यवसाय का पूरा विवरण
- किस प्रकार का संगीत बजाना चाहते हैं उसका विवरण
- GST प्रमाण पत्र
- अगर LLP बिज़नेस हैं तो उसका लाइसेंस का कॉपी
- पैन कार्ड
- एड्रेस प्रूफ ( आधार कार्ड, वोटर कार्ड, लाइट बिल, ड्राइविंग लाइसेंस )
संगीत लाइसेंस लेने के लिए ये सब विवरण देना होगा
मान लो अगर आप आने पब, या रेस्तरां के लिए लाइसेंस लेना चाहते हो तो आपको निम्नलिखित सारे विवरण देने होंगे।
- किस प्रकार का गाना बजायेंगे
- पूरे व्यावसायिक एरिया का details और गाना कहा तक सुनाई देगा
- आपके व्यवसाय में सीटों की संख्या कितनी हैं
- व्यवसाय के किस किस पार्ट में संगीत बजेगा। जैसे- किचन, रेस्टरूम, डाइनिंग रूम
- संगीत बजाने का उपकरण क्या हैं टीवी, सीडी, रेडियो
धन्यवाद