जैसा कि हम सब जानते हैं कि फ़िल्म मुम्बई बॉलीवुड के लिए फ़ेमस हैं और यहाँ हिंदी के साथ साथ रीजनल फ़िल्मो की भी शूटिंग होती हैं और सारे प्रोडक्शन हाउस यहाँ पे स्थित हैं। यही पर गोरेगांव पूर्व में फिल्मसिटी भी मौज़ूद हैं जो काफ़ी फ़ेमस हैं और यहाँ हमेशा अलग अलग फ़िल्म और सीरियल की शूटिंग होती रहती हैं तो आज बात इस पोस्ट में बात करेंगे फ़िल्मसीटी के बारे में।
फ़िल्म सिटी को दादा साहेब फ़ाल्के चित्रनगरी के नाम से भी जाना जाता हैं ये गोरेगांव के ईस्ट में स्थित हैं यहाँ जाना बहुत ही आसान हैं आप गोरेगांव स्टेशन से बेस्ट की बस , ऑटो या टैक्सी से जा सकते हैं लेक़िन फिल्मसिटी के अंदर आप बिना कारण नही जा सकते हैं।
इसकी स्थापना 1977 में महाराष्ट्र सरकार के द्वारा किया गया था इसका निर्माण फ़िल्म निर्माता वी शांताराम के देखरेख में किया गया था हालांकि इसका नाम 2001 में फ़िल्म जगत के जनक दादा साहेब फ़ाल्के के नाम पर उनके सम्मान में बदल दिया गया।
क्या हैं ख़ास इसके अंदर
ये फ़िल्मसिटी लगभग 520 एकड़ में फैला हुआ हैं जहाँ 42 आउटडोर शूटिंग लोकेशन और 16 साउंड स्टेज हैं जहाँ हर रोज शूटिंग होती हैं इसके अंदर जेल, मंदिर, गांव, पिकनिक स्पॉट और गार्डन हैं जो स्थाई रूप से बनाया गया हैं इसके साथ ही झरने, झील, और पहाड़ भी शामिल हैं यहाँ पिछले 48 सालों में न जाने कितने फिल्मों की शूटिंग हुई हैं।
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2014 में महाराष्ट्र सरकार के पर्यटन विभाग ने इसको पर्यटन स्थल के रूप में परिवर्तित कर दिया जहाँ बाहर से आनेवाले लोग इसको जा के देख सकते हैं जिसकी फ़ीस 650 रुपया हैं। वैसे अगर आप जाना चाहते हो तो अगर आप बॉलीवुड में किसी विभाग में काम करते हो तो आप अनुमति मिलने के बाद जा सकते हो।
यहाँ एक लैब हैं जहाँ फिल्मों की एडिटिंग और प्रोसेसिंग होती हैं हालांकि अब जब सबकुछ डिजिटल हो गया हैं तो अब लैब लगभग बंद सा हो गया हैं क्योंकि अब शूटिंग में निगेटिव का प्रयोग नहीं होता हैं। लेक़िन यहाँ पर अभी भी पुरानी फिल्मों के निगेटिव स्टोर हैं।
फ़िल्म सिटी का महत्व
इस फिल्मसिटी से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हज़ारों लोगों को काम मिलता हैं ये भारतीय सिनेमा जगत का रीढ़ माना जाता हैं यहाँ हिंदी सिनेमा के साथ साथ तमिल, तेलुगु, गुजराती, भोजपुरी फिल्मों की ज़्यादातर शूटिंग होती हैं। यहाँ 800 लोग रोज काम करते हैं जिससे उनका जीवन यापन होता हैं।
टेक्निकल महत्व
यहाँ लेटेस्ट ( आधुनिक) साउंड स्टेज, डबिंग स्टूडियो, एडिटिंग स्टूडियो, वीएफएक्स की सुविधायें हैं और कई सारे पोस्ट प्रोडक्शन हाउस भी हैं यही पे फ़िल्म निर्माता सुभाष घई का एक्टिंग इंस्टिट्यूट विशलिंग वुड हैं जहाँ देश विदेश से लोग फ़िल्म की पढ़ाई के लिए आते हैं।
यहाँ बड़ी बड़ी फ़िल्मो की शूटिंग हुई हैं जिसमें शोले, बाजीराव मस्तानी,और दबंग जैसी फिल्में प्रमुख हैं।साथ ही अनगिनत टीवी शो, सीरियल और अलग अलग प्रोजेक्ट की शूटिंग होती रहती हैं।
निष्कर्ष
फ़िल्म सिटी भारतीय फिल्मों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं यू कहे कि ये सिनेमा जगत का दिल हैं ये भारतीय फ़िल्म उधोग के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं अगर आप कभी मुम्बई आये तो यहाँ ज़रूर जाए।
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