राजकुमार राव की फ़िल्म मालिक इसी शुक्रवार को यानी कि 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज़ हो गयी हैं वही इस फ़िल्म ने बॉक्सऑफिस पर अपना दम दिखाया हैं ये फ़िल्म एक क्राइम ड्रामा फ़िल्म हैं और ये बॉक्सऑफिस पर अच्छी ओपनिंग की हैं साथ ही दूसरे दिन भी फ़िल्म ने पहले दिन से ज़्यादा की कमाई की हैं।
‘दुनिया में दो तरह के लोग रहते हैं… एक जो पसीना बहाकर रोटी कमाते हैं, और दूसरे जो खून-पसीना बहाकर रोटी छीन लेते हैं।’ ये डायलॉग ही इस फ़िल्म का सार हैं और इसी के इर्द गिर्द इसकी कहानी घूमती हैं। इस फ़िल्म के निर्देशक पुलकित हैं जो राजकुंआर राव के साथ ” बोस” बेब सीरीज़ बना चुके हैं हालांकि इस बार उन्होंने राजकुमार राव को एक गैंगेस्टर के रूप में दिखाया हैं।
मालिक की कहानी
ये कहानी हैं 1980 के दशक के इलाहाबाद की जहाँ एक मज़बूर किसान हैं जो जैसे तैसे किसानी करके घर चलता हैं वही उसका एक बेटा हैं दीपक ( राजकुमार राव ) जो ज़िंदगी मे हर चीज़ हासिल काटने की तमन्ना रखता हैं वो किस्मत से हार मानने वालों में से नही हैं ।
बल्कि वो अपने पिता को एक मज़बूत बेटे का बाप बनाना चाहता हैं और एक मौक़ा उसको मिलता भी हैं जहाँ उस इलाके का बाहुबली शंकर सिंह ( सौरभ शुक्ला ) का एक आदमी लंगड़ा उसके पिता के ऊपर ट्रैक्टर चला देता हैं । उसके बाद दीपक लंगड़ा को बीच चौराहे पर पिट पिट कर मार देता हैं और बन जाता हैं मालिक।
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धीरे धीरे दीपक का रुतवा बढ़ता जाता हैं पुलिस प्रसाशन से नेता मंत्री विधायक सब उससे खौफ़ खाने लगता हैं जितने भी टेंडर निकलते हैं वो सारे मालिक के नाम हो जाता हैं मालिक के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए चंद्रशेखर ( सौरभ सचदेव ) और विधायक ( तिग्मांशू धुलिया ) दोनों बेचैन हो जाता हैं ।
उसके बाद मालिक को जान से मारने के लिए विधायक 98 एनकाउंटर कर चुके एसपी प्रभु दास ( प्रोसेनजीत चटर्जी ) को बुलाता हैं इधर मालिक अपनी लड़ाई में शंकर सिंह को भी नाराज़ कर देता हैं और उसके बाद शुर होता हैं गैंगवार ।
आगे क्या होता हैं उसके लिए आप फ़िल्म देखगे तो ज़्यादा मज़ा आएगा। कुल मिलाकर फ़िल्म की कहानी 80 के दशक के गैंगवार पर आधरित हैं अगर आप इस टाइप की फ़िल्म देखने का शौकीन हैं तो आप देख सकते हो।
मालिक मूवी रिव्यु
हालांकि पुलकित पहले भी राजकुमार राव के साथ काम कर चुके हैं लेक़िन इस बार उन्होंने राजकुमार को एक अलग अंदाज में पेश किया हैं फ़िल्म की कहानी कोई नई नही हैं लेक़िन राजकुमार राव का भौकाली अंदाज़ और रंगबाजी फ़िल्म की जान हैं ।
इस तरह की ख़ासकर यूपी और बिहार पर कई सारी फिल्में बनी हैं उस लिहाज़ से निर्देशक ने कुछ नया नही किया हैं साथ ही फ़िल्म के सेकेंड हाफ में बहुत कुछ ढीला पड़ जाता हैं वही दीपक का मालिक बनने के पीछे कोई मज़बूत वज़ह भी नही हैं और न ही वो जनता का मसीहा हैं।
वही फ़िल्म के दूसरे पार्ट बनाने की चाहत में क्लाइमेक्स भी कमज़ोर जान पड़ती हैं लेक़िन फ़िल्म के डायलॉग और एक्शन पार्ट अच्छा हैं जिसे आप एन्जॉय ज़रूर कर सकते हो। जिस तरह का करैक्टर दिखाया गया हैं दीपक का सही मायने में बहुत सारे लोगों को राजकुमार राव फिट नही लगेंगे।
एक्टिंग डाइजेस्ट
फ़िल्म में राजकुमार राव ने अच्छा काम किया हैं उनकी एक्टिंग भी अच्छी हैं उसके अलावा अंशुमान पुष्कर ने भी अपनी छाप छोड़ने में सफ़ल रहे हैं लेक़िन प्रोसेनजीत चटर्जी जैसे बड़े कलाकर को वो मज़बूती नही प्रदान किया गया हैं बात करें सौरभ शुक्ला की तो वो हर फ़िल्म की ही तरह इसमें भी दिखाई दिए हैं।
फ़िल्म का टेक्निकल पक्ष मजबूत हैं सचिन जिगर के गाने ” मालिक राज करेगा” और नामुमकिन पहले से ही लोगों के ज़ुबान पर हैं फ़िल्म को क्रिटक्स और व्यूअर दोनों ने 2.5 की रेटिंग दी हैं।
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