आज इस पोस्ट में बहुत ही ख़ास जानकारी शेयर करने जा रहा हु। अगर आप भी फ़िल्म बनाना चाहते हो तो आपको ज़रूर इन बातों का ख़्याल रखना ही चाहिए नही तो आपका सारा कैपिटल डूब जाएगा। सबकुछ ख़त्म हो सकता हैं।
आज के ज़माने में फ़िल्म मेकिंग पूरी तरह से एक प्रोफेशनल व्यवसाय हैं । अब ये केवल एंटरटेनमेंट नही रह गया हैं हर साल भारत में ये व्यवसाय बढ़ता ही जा रहा हैं। अब भारत ने एक एक हज़ार करोड़ की फिल्में बनाई जा रही हैं और फ़िल्म बॉक्स-ऑफिस पर कमाई भी काफ़ी अच्छा कर रही हैं। चाहे वो बॉलीवुड हो, साउथ इंडस्ट्री हो या फ़िर कोई भी रिजिनल फ़िल्म हो फॉर्मेट सबका एक ही होता हैं। फ़िल्म मेकिंग में आने से पहले आपको नीचे लिखी हुई बातों का ख़ास ध्यान रखना ही चाहिए।
जिस इंडस्ट्री के लिये फ़िल्म बनानी हैं उसकी पूरी जानकारी होना ज़रुरी
जब भी आप किसी भी काम को करने जाते हो तो आधी अधूरी जानकारी के कारण आप हमेशा नुक़सान में रहते हो। इसलिए फ़िल्म मेकिंग व्यवसाय में भी आपको हाथ डालने से पहले आपको पूरी तरह से हर डिपार्टमेंट की जानकारी आपको होना लाज़मी हैं। बिना जानकारी के आप अपना सबकुछ गवा सकते हो।
ऑडियंस का मूड कैसा हैं
हर इंडस्ट्री का अपना अपना टेस्ट होता हैं इसलिए जब भी आप फ़िल्म बनाने की सोच रहे हो तो आपको सबसे पहले जिस भाषा की फ़िल्म बनाना चाहते हो, वहाँ के दर्शकों का मूड कैसा हैं। वो किस तरह की फ़िल्म देखना पसंद करते हैं। अगर आपने बिना सोच समझें ही फ़िल्म बना दिया तो फ़िर आपको नुक़सान बड़ा हो सकता हैं।
सही एक्टर का चुनाव बहुत ज़रूरी हैं
जब भी आप फ़िल्म बनाना चाहते हैं तो सबसे पहले खयाल आता हैं एक्टर और एक्ट्रेस का की आज के समय मे कौन चल रहा हैं और किसका अच्छा मार्किट हैं।
फ़िल्म का सही बजट बनाना
कोई भी फ़िल्म बनाने से पहले पेपर पर उस फिल्म का सही सही बजट बनाना जरूरी हैं क्योंकि अगर बजट सही नही होगा तो ओवर बजट हो सकता हैं और आपको घाटा उठाना पड़ सकता हैं। बजट में हर डिपार्टमेंट जैसे एक्टर, शूटिंग, लाइट, कैमरा या यूं कहें कि प्री प्रोडक्शन , प्रोडक्शन और पोस्ट प्रोडक्शन का प्रॉपर बजट बनाना चाहिए। जिसे आपको पता होता हैं कि आपको कहाँ कितना खर्च करना हैं जिसे आप ग़लत खर्च से बच सकते हो।
लोकेशन हंटिंग
ये सबसे ज़्यादा ज़रूरी काम होता हैं शूटिंग करने से पहले। इसमें डायरेक्टर पहले अपनी टीम के साथ जाता हैं जिस जगह शूटिंग करनी हैं फ़िर वो अपने स्टोरी के हिसाब से लोकेशन फाइनल करता हैं। इससे फ़ायदा ये होता हैं कि हमें समय की बचत होती हैं। हमें पहले से पता होता हैं कि कब कहाँ कौन सा सीन शूट करना हैं।
सही कहानी और गाने की रिकॉर्डिंग
किसी भी फ़िल्म को बनाने के लिए सबसे पहले हमें एक अच्छी स्टोरी की ज़रूरत होती हैं। स्टोरी हमें ऐसी लेनी चाहिए कि जो दर्शक को अपने साथ रिलेट कर सके। ऐसी स्टोरी को दर्शक काफ़ी पसंद करते हैं। आपने देखा होगा कि बिना किसी स्टार के भी फिल्में सुपर हिट होती हैं। अभी रिलीज़ हुई फ़िल्म हनुमान जो बिना स्टार के भी बड़ी बड़ी फिल्मों को पीछे छोड़ दिया। फ़िल्म सुपर हिट हो गई हैं क्योंकि फ़िल्म की कहानी काफ़ी अच्छी थी। इसलिए कहानी अच्छी होनी चाहिए।
उसके बाद गाना, हमारे यहाँ हिंदी फिल्मों में गाना होना अनिवार्य हैं क्योंकि दर्शक गाने को बडे चाव से देखते हैं। कभी कभी गाने के कारण भी फिल्में सुपर हीट हो जाती हैं।इसलिए गाना हमारी बालीवुड का अहम हिस्सा हैं। गाना शूटिंग से पहले ही रिकॉर्ड किया जाता हैं।
लिरिक्स राइटर कम्पोज़र और सिंगर
प्री प्रोडक्शन में स्टोरी राइटिंग के साथ आर्टिस्ट फाइनल करना, टेक्निकल टीम और सारे इक्विपमेंट्स को हायर किया जाता हैं। साथ ही सबसे बड़ा काम गाना को रिकॉर्ड भी करना होता हैं। इसके लिए राइटर गाने लिखता हैं फ़िर कंपोजर उसको कंपोज़ करता हैं और फाइनली सिंगर गाने को गाता हैं। अच्छा गाना बनाने के ये अच्छे लिरिक्स, राइटर, अच्छे कम्पोज़र और सिंगर को ही लेना चाहिए।
तो ये थे प्री प्रोडक्शन के वो काम हो फ़िल्म की शूटिंग से पहले किया जाता हैं। मैंने कोशिश की हैं कि आपतक सही जानकारी पहुँचा सकु। अगले पोस्ट में प्रोडक्शन और फिर पोस्ट प्रोडक्शन की बात करेंगे।
अगर आपके पास कोई सवाल या सुझाव हो तो कमेंट ज़रूर करें। आपके प्यार और सपोर्ट के लिए दिल से धन्यवाद।।
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