विकी कौशल की फ़िल्म छावा जो की एक बहुप्रतीक्षित फ़िल्म थी जिसके रिलीज़ को कई बार टाल दिया गया,पिछली बार पुष्पा 2 के रिलीज़ के कारण टाल दिया गया था फाइनली आज सिनेमाघरों में रिलीज़ हो गई हैं। लक्षमण उतेकर के डायरेक्शन में बनी फ़िल्म संभाजी महाराज के वीरता पर आधारित फ़िल्म हैं जिसने बहुत बड़ी ओपनिंग बॉक्सऑफिस पर ली हैं।
इस फ़िल्म में विकी कौशल के साथ राश्मिका मंदाना और अक्षय खन्ना मुख्य किरदार में नज़र आ रहे हैं इस फ़िल्म ने एडवांस बुकिंग से काफ़ी बेहतरीन कमाई पहले ही कर चुकी हैं वही इस फ़िल्म के पास काफ़ी बेहतरीन मौका हैं, क्योकि सनम तेरी क़सम को छोड़ दे तो कोई भी फ़िल्म अभी नही हैं जो इसके राह में रोड़ा बन सके।
छावा फ़िल्म की कहानी
फ़िल्म की कहानी में दिखाया गया हैं कि शिवजी महाराज की मृत्यु हो चुकी हैं और मुगल साम्राज्य के शहंशाह को अब लगने लगा हैं कि दक्कन में उसको मात देने वाला अब कोई नही बचा हैं और अब वो मराठों पर एकछत्र राज्य कर सकेगा। लेक़िन वो इस बजट से अनभिज्ञ हैं कि शिवजी के पुत्र संभाजी ऊर्फ़ छावा ( विकी कौशल) जो एक बहादुर और जांबाज़ हैं जो अपने पिता के साम्राज्य को आगे बढ़ाने के लिए कटिबद्ध हैं और उसकी पत्नी ( राश्मिका मंदाना ) भी अपने राजा के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने को प्रतिबद्ध हैं।
संभाजी अपने सेनापति हमबिराव मोहिते ( आशुतोष राणा) और वीर सेना के साथ औरंगजेब के महत्वपूर्ण गढ़ बुरहानपुर पर चढ़ाई कर देता हैं और औरंगजेब की सेना को पानी पिला देता हैं उसके बाद औरंगजेब और उसकी बेटी (डायना पेंटी) को संभाजी के पराक्रम का पता चलता हैं। इस पहली जीत के बाद संभाजी के वीर सेना नौ सालों तक औरंगजेब के कई गढ़ को नेस्तनाबूद कर देता हैं ।
संभाजी ने अपने वीर सेना के साथ औरंगजेब के सारे रणनीति को ध्वस्त कर देता हैं औरंगजेब लाख कोशिशों के बाद भी संभाजी को मात नही दे पाता हैं यू कहे कि संभाजी एक ऐसा गले का फ़ांस बन चुके हैं जिसे चाहकर भी औरंगजेब नही निकाल पता हैं ।
इसके बाद औरंगजेब धोखे की चाल चलता हैं और संभाजी के अपनों के छल के कारण घात लगाकर बैठे औरंगजेब की सेना धोखे से संभाजी को कैद कर लेता हैं और उनके साथ रूह कपाने वाली यातना देता हैं इसके बाद संभाजी का क्या होता हैं क्या वो औरंगजेब को मात दे पाते हैं या नही ये जानने के लिए आपको फ़िल्म देख सकते हैं।
छावा मूवी रिव्यु
मेधा देशमुख की किताब ” Life and Death of Sambhaji Maharaj” पर आधारित अनूप सिंह की फ़िल्म ” धर्मरक्षक” काफ़ी चर्चे में रही थी, छावा भी उसी तर्ज पर आगे बढ़ती हैं लक्षमण उतेकर ने भी इस एतिहासिक घटना को बड़े कैनवास पर उतारने की कोशिश किया हैं इससे पहले लक्षमण ने ” ज़रा हटके ज़रा बचके” मिमी और लुकाछिपी जैसी फ़िल्म बना चुके हैं।
फ़िल्म का पहला रोंगटे खड़े कर देने वाला युद्ध ही इस फ़िल्म के मूड कक बता देता हैं इस युद्ध से ही पता चलता हैं कि संभाजी कितना निडर निर्भय और आक्रामक योद्धा हैं फ़िल्म के पहले पार्ट में छावा के वीरता और निर्भयता को पूरी तरह से प्रदर्शित किया गई हैं जिसमें समय लगता हैं लेक़िन फ़िल्म का दूसरा पार्ट बहुत ही रोमांचकारी हैं ।
निर्देशक ने फ़िल्म में छावा की वीरता को दर्शाने पे ज़्यादा ज़ोर दिया हैं जिसके कारण छावा के बैक स्टोरी पर ज़्यादा ध्यान नही दिया गया हैं जिसके कारण फ़िल्म की कहानी थोड़ी मात खाती दिखती हैं। फ़िल्म का एक्शन पार्ट बहुत ही शानदार हैं और कोरियोग्राफी की बात करें तो वाकई ये तारीफ़ के क़ाबिल हैं।
क्या हैं देखने लायक़
संभाजी की छोटी सी सेना ने औरंगजेब की सेना को जिस तरह मात देती हैं वो शानदार हैं वही फ़िल्म का क्लाइमेक्स का वॉर सीन इस फ़िल्म की जान हैं जिसमे तरह तरह की यातनाओं के बाद भी संभाजी उनके सामने घुटने नही टेकता हैं इस फ़िल्म का एक डायलॉग ” हम शोर नही मचाते सीधा वॉर करते हैं” जिसपर जमकर तालिया और सिटी बजती हैं।
वही ए आर रहमान का संगीत काफ़ी बढ़िया हैं वही सौरभ गोस्वामी की सिनेमाटोग्राफी कमाल हैं हालांकि लक्षमण उतेकर ख़ुद एक छायाकार हैं लेक़िन फ़िर भी उन्होंने ये कमान सौरभ को दिया हैं जिसपे वो पूरी तरह से खड़ा उतरते हैं।
बात करें एक्टिंग की तो अभिनय के मामले में विक्की कौशल ने इस ऐतिहासिक किरदार को पर्दे पर जीवंत करने के लिए अपना सबकुछ झोंक दिया है । विक्की कौशल को अपने करियर का शानदार ओपनिंग हैं वाक़ई शेर की तरह गर्जन करने वाले संभाजी के किरदार को विकी कौशल ने बख़ूबी जीवंत किया हैं।
वही औरंगजेब की भूमिका में अक्षय खन्ना ने भी दिल जीत लिया हैं उनका हाव भाव ऊपर से उनका गेटअप शानदार हैं वही लश्कर के रूप में आशुतोश राणा ने भी बेहतरीन काम किया हैं। महिला पात्र में राश्मिका मंदना ने भी अपना बेस्ट दिया हैं वही दिव्या दत्ता को ज़्यादा स्पेस नही मिल पाया हैं।
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