मनोज बाजपेयी की 100 वी फ़िल्म भैया जी – Movie Review & Opening Collection

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वेटरन एक्टर मनोज बाजपेयी की 100 वी फ़िल्म भैया जी सिनेमाघरों में रिलीज़ हो गयी हैं। इस फ़िल्म को लेकर फ़िल्मी बाज़ार में काफ़ी चर्चा चल रही हैं। ये फ़िल्म मनोज बाजपेयी के करियर की 100 वी फ़िल्म हैं। फ़िल्म के ट्रेलर को देखकर बहुत तरह की चर्चाएं हो रही थी। आज आइये जानते हैं कैसी हैं फ़िल्म और बॉक्सऑफिस पर कैसी रही हैं फ़िल्म को ओपनिंग ।

भैया जी फ़िल्म का थीम क्या हैं

वैसे बात करें तो मनोज बाजपेयी एक ऐसे एक्टर हैं जिन्होंने अपने दम पर बॉलीवुड में जगह बनाई हैं। साथ ही वो इंडिपेंडेंट सिनेमा को भी काफ़ी बढ़ावा दिया हैं। इसकी थीम की बात करें तो ये बिहार के परिवेश में बनाई गई एक एक्शन थ्रीलर फ़िल्म हैं। इसमें बदले की भावना से की गई घटनाएं को पर्दे पर बिखेरने की कोशिश की गई हैं।

इसमें आपको मनोज बाजपेयी की खाटी बिहारी अंदाज़ देखने को मिल सकता हैं। मनोज अपने बनाई गई छवि से बिल्कुल अलग एक्शन अवतार में नज़र आ रहे हैं। फ़िल्म में आपको बिहारी अंदाज़ में देशी एक्शन देखने को मिलेगा।

भैया जी ट्रेलर

ऑफिसियल ट्रेलर

भैयाजी की कहानी

फ़िल्म की कहानी रामचरण त्रिपाठी ( मनोज बाजपेयी) भैया जी के इर्द गिर्द घूमती हैं। भैया जी एक खूंखार इंसान हैं जिसके नाम से पूरा इलाक़ा काँपता हैं यू कहे तो वो पूरे इलाके का रोबिनहुड हैं। भैया जी ने जाने कितने लोगों को अपने फावडे से मौत के घाट उतार दिया हैं।

श्रीकांत मूवी रिव्यु

लेक़िन अपने पिता जी के दिये हुए वचन के कारण वो इस जुर्म की दुनिया को छोड़कर अपनी सौतेली मां और भाई के साथ रहने लगता हैं। लेक़िन कहते हैं न कि जब कोई बदमाश शरीफ़ बनता हैं तो उसे जीने नही दिया जाता हैं।

वही होता हैं भैया जी के साथ भी, उनके मासूम भाई की हत्या कर दी जाती हैं जिसके बाद भैया जी फ़िर से अपने पुराने रौद्र रूप को धारण करता हैं और अपने हाथ में फावड़ा उठा लेता हैं। उसके बाद किस किस को उनका सामना करना पड़ता हैं यही इस फ़िल्म की मुख्य कहानी हैं।

भैया जी मूवी रिव्यु

इस फ़िल्म को डायरेक्ट किया हैं सिर्फ़ एक बंदा काफ़ी हैं फेम् डायरेक्टर अपूर्व सिंह कार्की  जिन्होंने अपने इस फ़िल्म से काफ़ी वाहवाही बटोरी थी। जहाँ एक ओर सिर्फ़ एक बंदा काफ़ी हैं एक रियलिस्टिक फ़िल्म थी वही भैया जी इसके विपरीत लार्जर दैन लाइफ हीरो वाली पूरी तरह मसाला फ़िल्म बनाई हैं।

कमजोर पक्ष

लेक़िन बात करें तो फ़िल्म की कहानी में कुछ भी नयापन नही हैं और न ही उस तरह का ट्रीटमेंट देखने को मिल रहा हैं। पूरी फ़िल्म में आपको केवल दुख और गुस्सा ही देखने को मिलेगा जो कही कही आपके इंटरेस्ट को कम करती नज़र आएगी।

फ़िल्म का प्रोडक्शन कमज़ोर साबित होता हैं जब आप दिल्ली स्टेशन वाले सीन को देखने को देखेंगे तो देखते हो आपको बहुत कुछ पता चल जाएगा। वही एडिटिंग की बात करें तो इसको और बेहतर किया जा सकता था ताकि फ़िल्म को और टाइट किया जा सके।

मज़बूत पक्ष

फ़िल्म की मज़बूत पक्ष की बात करें तो वो हैं भैया जी यानी कि मनोज बाजपेयी जिन्होंने अपने एक्टिंग के दम पर फ़िल्म को सफलता दिला सकते हैं। फ़िल्म के ट्रीटमेंट और स्लो मोशन वाले सीन आपको अनायास ही केजीएफ और पुष्पा की याद दिला देगी, लेक़िन वो फ़ील नही करवा पाती हैं।

मनोज वाजपेयी के अंदाज़ आपको काफ़ी पसंद आनेवाले हैं उनका देशी अंदाज़ में डायलॉग और एक्शन आपको काफ़ी मज़ा देने वाली हैं। वही जोया हुसैन ( मैथिली ) का ज़ोरदार एक्शन आपको काफ़ी पसंद आ सकता हैं। अपने सीमित रोल में भी दर्शकों को ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब साबित हुई हैं।

वही सुविन्दर विक्की भी आपको एक खूंखार सीन में नज़र आएंगे हालांकि बाद में उनका क्या रोल हैं बहुत कुछ समझ नही आता हैं। रही बात एक्टिंग की तो सबने बेहतरीन काम किया हैं।

फ़िल्म का संगीत

संदीप चौटा का म्यूजिक अच्छा हैं वही इसके गाने आपको सिचुएशन के हिसाब से काफ़ी अच्छा लगेगा। ” बाघ का करेजा” चक्का जाम और भाई का वियोग गाने काफ़ी सिंक लगते हैं।

ओपनिंग डे

उम्मीद की जा रही थी फ़िल्म अपने ओपनिंग दे पर 4 करोड़ तक का कलेक्शन कर सकती हैं लेक़िन शुक्रवार को फ़िल्म उम्मीद से परे मात्र 1.30 करोड़ की कमाई ही कर सकी हैं।

सारांश

कुल मिलाकर फ़िल्म अच्छी हैं लेक़िन और बेहतर करने की गुंजाइश थी। अगर आप मनोज बाजपेयी के फैंस हैं और गैंग्स ऑफ़ बासेपुर वाली फीलिंग को फ़िर से एन्जॉय करना चाहते हो, तो आप इस फ़िल्म को देख सकते हो।

फ़िल्म को क्रिटिक्स के द्वारा 2.0 की रेटिंग दी गई हैं। क्या आपने फ़िल्म देखी हैं तो अपना मत कमेंट ज़रूर करें।।

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