जीवन के सबसे बुरे दौर में अमिताभ बच्चन ने ऐसा क्या किया और कैसे फ़िर से बने बॉलीवुड के शहंशाह

ravi

नमस्कार दोस्तों आज का ये पोस्ट बहुत ही अलग हैं ये पोस्ट आपको आपके जीवन में तूफ़ान ला सकती हैं अगर आप भी जीवन में कुछ बड़ा हासिल करना चाहते हो, आपके भी अगर सपने हैं तो ये पोस्ट आपको काफ़ी मोटिवेशन देगी। आज हम बात करेंगे बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन के जीवन की उस सच्चाई के बारे में जो शायद बहुत से लोगों को पता नही हैं।

उन्होंने कैसे जीवन के सबसे मुश्किल दौर में ख़ुद को संभाला और एक बार फ़िर से उन्होंने साबित किया कि वही बॉलीवुड के असली शहंशाह हैं तो आइए जानते हैं उन्होंने कैसे और ऐसा क्या किया।।

1970 और 1980 के दौर में अमिताभ बच्चन किसी भी फ़िल्म के लिए हिट की गारंटी माने जाते थे उस समय उन्होंने, जंज़ीर, शोले, दीवार, और डॉन जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में देकर बॉलीवुड के बड़े बड़े स्टार को भी हिला दिया था और उनकी छवि एक एंग्री यंग मैन की बन गई थी साथ ही हर निर्माता अपनी फ़िल्म में उनको साइन करना चाहते थे। लेक़िन कहते हैं न हर दौर एक जैसा नही रहता हैं और उनके जीवन में भी वो दौर आया।

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1970 और 1980 का वो दौर

1970 और 80 के अंत तक अमिताभ बच्चन के करियर ने एक अलग मोड़ लिया, उनकी कई फिल्में फ़्लॉप हुई जैसे, जादूगर, तूफ़ान , अग्निपथ ये सारी फिल्में लाइन से फ़्लॉप हुई उसके बाद उनका करियर डावाडोल होने लगा था। इसका एक बड़ा कारण ये भी था कि कई नए नए चेहरे भी बॉलीवुड में आ गए थे जिनको लोग भी काफ़ी पसंद कर रहे थे और फ़िर लोगों ने कहना शुरू किया कि अब अमिताभ का समय ख़त्म हो गया हैं।

डावाडोल करियर के बीच एक नया सपना

अपने गिरते करियर के बीच उन्होंने एक नया सपना देखा और उसको पूरा करने की कोशिश करने लगे। उन्होंने 1995 में अपनी नई प्रोडक्शन हाउस की शुरआत की जिसका नाम ABCL ( Amitabh Bachchan Corporation Limited ) रखा।

हालांकि उनका मक़सद बहुत ही अच्छा था भारतीय सिनेमा को कॉरपोरेट और Profesional बनाना, लेक़िन अनुभव की कमी और कई सारे ग़लत फ़ैसले के कारण उनकी कंपनी फ़ेल होती चली गई, और  1999 आते आते कंपनी पूरी तरह से डूब चुकी थी हालात ऐसे थे कि अब उनको अपना घर गिरवी रखने तक की नौबत आ गई थी।

गिरकर जो फ़िर चलते हैं वही शहंशाह होते हैं

उन्होंने ख़ुद एक इंटरव्यू में कहा था कि इतना कर्ज़ में डूब चुका था कि उनके पास घर के बेसिक ज़रूरत पूरी करने तक के पैसे नही थे। उन्हीने कहा कि मैं दर दर भटक रहा था काम मांग रहा था लेक़िन काम भी नही मिल पा रहा था।

एक अपने ज़माने के सुपर स्टार की हालत ऐसी हो गई थी कि दर दर भटकना पड़ा, पैसे नही थे लाइट बिल तक भरने के, लेक़िन यही वो दौर था जहाँ उनको ख़ुद को साबित करना था ऐसा दौर हर इंसान के जीवन मे आता हैं कुछ टूटकर बिखर जाते हैं तो कुछ निखर जाते हैं और जो निखरता हैं वही महान बनता है  नाम उसी का होता हैं।

किस्मत ने फ़िर एक मौक़ा दिया

साल 2000 की बात हैं उनको एक टीवी शो ” कौन बनेगा करोड़पति ” को होस्ट करने का ऑफर मिला, हालांकि उस ज़माने में टीवी पर काम करना बड़े स्टार के लिए सही नाहज5 माना जाता था कई लोगों ने उन्हें भी मना किया, लेक़िन उन्होंने अपने हालात को समझा और शो को होस्ट करने के लिए तैयार हो गए।

KBC

जैसे ही 2000 में KBC का पहला एपिसोड आया तो लोगों का रिएक्शन ज़बरदस्त था उनकी भारी भरकम आवाज़, गर्मजोशी ने एक बार फिर से भारत के लोगों को उनका दीवाना बना दिया। इस शो ने न उनके सारे कर्ज़ से मुक्त कराया बल्कि फ़िर से उनको स्टारडम वापस दिला दिया।

फ़िर से फिल्मों में की वापसी

KBC की आपार सफ़लता के बाद उनको फ़िर से फिल्में मिलनी शुरू हुई, उनकी KBC के बाद मोहब्बतें सुपर डुपर हिट हुई उनके काम को फ़िर से लोगों ने सर आंखों पर लिया उसके बाद Black, Bagwan, Sarkar और Paa जैसी सुपर हिट फिल्में दी।

इस सफ़लता के बाद लोग उनको केवल स्टार नही एक आइकॉन मानने लगे और उनको सदी का महानायक भी बताया गया। आज 80 के उम्र में भी वो काफ़ी एक्टिव हैं फ़िल्म और टीवी में। आज भी वो यंग स्टार से कम नही हैं।

निष्कर्ष

इस कहानी से हमें बहुत बड़ी सिख मिलती हैं ” जीवन ने मुश्किल आएगी लेक़िन हमें उसका डटकर मुक़ाबला करना चाहिए”

हालात के अनुसार जो नही ढलता हैं वो डूब जाता हैं बुद्धिमानी यही हैं कि हालात के साथ ख़ुद को ढालना चाहिए।

मेगास्टार अमिताभ बच्चन की ये अनकही कहानी हमें याद दिलाती है कि असली हीरो वही है जो गिरकर भी उठता है और फिर से चमकता है।
वो सिर्फ शहंशाह परदे पर नहीं, असल ज़िंदगी में भी हैं।

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धन्यवाद

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