कल रात को मैं साउथ इंडियन फ़िल्म मार्को देखा तबसे दिमाग में खलबली मची हुई हैं तो मैंने सोचा क्यों न अपने ब्लॉग के ज़रिए इस फ़िल्म के बारे में लोगों तक अपनी बात पहुँचाई जाए। ये फ़िल्म एक साउथ इंडियन फ़िल्म हैं जिसके मुख्य किरदार उन्नी मुकुन्दन हैं जो टाइटल रोल मारको को प्ले किया हैं।
साथ ही इस फ़िल्म में कबीर दुहान सिंह, सिद्दिकी मुख्य किरदार हैं यहाँ मैं फ़िल्म की कहानी और मेकिंग को लेकर कोई सवाल नही उठा रहा हु इसके शार्ट टेकिंग, और मेकिंग की मैं तारीफ़ करता हु। लेक़िन बात करे इस फ़िल्म के एक्शन पार्ट जिसमें जो दिखाया गया हैं वो एक आम आदमी बर्दास्त नही कर सकता।
मैं ख़ुद बर्दाश्त नही कर पाया, जिस तऱीके इस फ़िल्म में लोगों को मारा जाता हैं वो किसी का भी मानसिक संतुलन ख़राब कर सकता हैं। क्या इस तरह की फ़िल्म को सेंसर आसानी से हो जाता हैं अगर हाँ तो एक बार फ़िर से सोचने की ज़रूरत हैं।

सरकार और सेंसर बोर्ड को नोटिस लेना चाहिए
फ़िल्म में एक्टिंग की बात करें तो सबने बहुत अच्छा काम किया हैं यहाँ तक कि फ़िल्म की कमाई भी अच्छी हो रही हैं फ़िल्म के बारे में काफ़ी नाम सुनने के बाद कल रात को मैन फ़िल्म को देखा, यक़ीन मानिए अभी तक मैं अजीब सा फील कर रहा हु।।
आज ही एक न्यूज़ पढ़ा जिसमें उसी तरह से एक पत्रकार को मारा गया हैं इससे क्या साबित होता हैं कि हम समाज को क्या बेच रहे हैं और इसका आनेवाले समय मे समाज पर क्या होगा।
भारत सरकार और सेंसर बोर्ड को इस तरह की फ़िल्म को पूरी तरह से बैन किया जाना चाहिए क्योंकि इस तरह की फ़िल्म के कारण आज आय दिन उसी स्टाइल में लोगों को कही न कही मारा जाता हैं।
जिस तरीक़े से फ़िल्म में लोगों को काटा जाता हैं वो किसी भी सभ्य समाज में स्वीकार नही किया जाएगा। कहा जाता हैं सिनेमा समाज का दर्पण होता हैं तो क्या अब यही चीज़े परोसी जाएगी। मतलब इंसान को हैवान बनना सिखाया जा रहा हैं।
पूरी तरह से बैन होना चाहिए
2024 में आयी फ़िल्म एनिमल से इसकी शुरुआत माना जा सकता हैं चुकी एनिमल सुपर हिट रही जिसके कारण अब इस तरह की और फिल्में बनाई जा रही हैं। एक्शन फिल्म का पार्ट हो सकता हैं लेक़िन हैवानियत नही।।
मारको फ़िल्म को मैं दावे के साथ कह सकता हु की इस तरह की फ़िल्म एक आम इंसान नही देख सकता हैं अगर वो देखता हैं तो अपना मानसिक संतुलन खो सकता हैं। शुरू जे ही फ़िल्म केवल मनोरंजन का साधन रही हैं और इसलिए कहा जाता हैं फ़िल्म को लेकर एंटरटेनमेंट एंटरटेनमेंट और सिर्फ़ एंटरटेनमेंट।
लेक़िन इस फ़िल्म को देखकर लागत हैं ये फ़िल्म एंटरटेनमेंट के लिए नही लोगों का मानसिक संतुलन बिगाड़ने के लिए बनाई गई हैं ऐसी फिल्मों का बहिष्कार होना ही चाहिए, साथ ही सरकार और सेंसर बोर्ड को भी इस तरह की फ़िल्म पर रोक लगाना चाहिए।
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