Regional (रीज़नल) फिल्मों में ज़्यादातर मेकर्स को नुक़सान क्यों होता हैं।

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फ़िल्म मेकिंग आज पूरी तरह से एक प्रोफ़ेशन बन गया हैं। ये एक ऐसा फील्ड हैं जिसके ज़रिये आप लाखों लोगों तक अपनी बात को पहुँचा सकते हो, इसलिए इसको समाज का दर्पण भी कहा जाता हैं। साथ ही ये एंटरटेनमेंट का सबसे बेहतर ज़रिए भी हैं। अकेले भारत में लगभग सभी क्षेत्रीय भाषओं को मिला दे तो लगभग 1000 फिल्में हर साल बनाई जाती हैं।

इसमें से बहुत सारी फिल्में किसी न किसी कारण से बीच मे अटक जाती हैं। ज़्यादातर जो क्षेत्रीय भाषा की जो फिल्में होती हैं वे कम बजट में बनाई जाती हैं (साउथ की फिल्मों को अगर छोड़ दे तो)  और काफ़ी नए नए लोग इस फील्ड में आते हैं हरसाल। लेक़िन इनमें से ज़्यादातर प्रोडूसर जो होते हैं वो लॉस में रहते हैं।

क्या होता हैं फ़िल्म पोस्ट प्रोडक्शन ?

जिसके कारण वो या तो एक फ़िल्म बना के ही वापस चले जाते हैं। हा कुछ लोग होते हैं जो इस फील्ड में टिके रहते हैं और अच्छा Experience होने के बाद वो फ़िल्म मेकिंग से पैसे कमाते हैं। हालाँकि यहाँ Success Rate जो हैं बहुत ही कम हैं। इसके बहुत सारे कारण हैं। तो आज इस पोस्ट में हम विस्तार से जानेगे की आख़िर क्यों होता हैं नुक़सान और क्या क्या हैं इसकी मुख्य वज़ह।

फ़िल्म निर्माण के ज्ञान का अभाव

ये सबसे पहला कारण हैं जिसके कारण यहाँ बहुत सारे लोग अपना पैसा डुबाकर चले जाने को मज़बूर हो जाते हैं। यहाँ क्षेत्रीय भाषओं की फ़िल्म (चाहे भोजपुरी, गुजराती, मराठी या कोई और फ़िल्म हो) को लेकर आने वाले प्रोड्यूसर्स में अधिकाशतः लोगों को कोई जानकारी नही होती हैं। वे केवल कुछ लोगों के द्वारा दिये गए प्रलोभन के कारण आते हैं और अपना नुक़सान कर बैठते हैं। 

इसमें भी कई कारण हैं कुछ लोग शौक़ के लिए भी आते हैं तो कुछ लोग अय्याशी करने के मकसद से भी आते हैं लेक़िन   मोस्टली लोगों को गुमराह करके यहाँ लाया जाता हैं फ़िर उनको बुरी तरह से फसाया जाता हैं।

मुंगेरीलाल के हसीन सपने

यहाँ बहुत सारे लोग जो आते हैं फ़िल्म मेकिंग में उनके पास कोई ज्ञान होता नही हैं। यहाँ आने के बाद उनको हसीन सपने दिखाए जाते हैं कि आप 50 लाख लगाओ आपको एक करोड़ हो जाएगा। इसी बहकावे में आकर लोग फंस जाते हैं। जबकि जैसा बताया जाता हैं वो सब 70% ग़लत बताया जाता हैं। ऐसा नही हैं कि यहाँ सबलोग ग़लत ही करते हैं हा लेक़िन 90%  लोग यहाँ यही करते हैं उनका यही काम होता हैं।

क्या आप भी फ़िल्म बनाना चाहते हो तो ऐसे करें शुरुआत

प्रॉपर टीम का नही होना

जब भी कोई प्रोडूसर फ़िल्म बनाने के लिए आता हैं उसको कुछ भी जानकारी नही होती हैं उसे जैसा बताया जाता हैं वो ठीक वैसा ही करते चले जाते हैं  और धीरे धीरे फसते चले जाते हैं। एक बार जब उनका पैसा फ़ँस जाता हैं तो फ़िर मज़बूरी में वो और सारे काम उनके आस पास के लोगों के द्वारा जो कहा जाता हैं करना पड़ता हैं।

हा कुछ मेकर्स जो होते हैं वो कोई भी इंवेस्टेट से पहले जांच पड़ताल करते हैं और वो नुक़सान से बच जाते हैं। इसलिए जब भी आप कोई कदम उठाये तो पूरी जानकारी ज़रूर लेनी चाहिए । टीम में सबसे पहले एक अच्छा डायरेक्टर का होना ज़रूरी हैं क्योंकि ज़्यादातर केस में डायरेक्टर ही ग़लत निकलता हैं जिसके कारण लॉस होता हैं।

रीजनल फिल्मों में 90% डायरेक्टर्स केवल किसी तरह झूठे प्रलोभन देकर मेकर्स को फसाते हैं और अपना मतलब साधते हैं उनको प्रोडूसर के लाभ और नुक़सान से कोई मतलब नही होता हैं। वो कोई भी सही जानकारी नही देते हैं।

उपर्युक्त नुक़सान से बचने के लिए क्या करना चाहिए।

01. सही जानकारी लेना

सबसे पहले अगर आप बिल्कुल नए हो, तो A To Z साइनिंग से लेकर फ़िल्म रिलीज़ तक की पूरी जानकारी लेनी चाहिए। इसके लिए आप किसी अच्छे सलाहकार से सलाह ले सकते हैं। वो आपको फ़िल्म निर्माण की सारी जानकारी देगा।

आप जिस भी भाषा की फ़िल्म बनाते हो, वहाँ अभी कैसी स्टोरी चल रही हैं कौन एक्टर्स, एक्ट्रेस अभी उस भाषा मे चल रहा हैं। उसका बजट क्या हैं। क्या उस एक्टर को लेकर जो बजट बनता हैं उतनी रिटर्न्स हैं या नही।

02. फ़िल्म का सही बजट बनाना

किसी भी भाषा की फ़िल्म बनाने के लिए सबसे पहले बजट बनाया जाता हैं कि फ़िल्म में रिलीज़ तक कितना खर्च आनेवाला हैं । जब भी आप बजट बना लेते हो, तो कुछ भी हो आपको किसी भी परिस्थिति में बजट से बाहर नही जाना चाहिए नही तो आपका नुक़सान लाज़मी हैं।

03. प्रॉपर अग्रीमेंट करना

बजट बनाने के बाद टीम बनानी होती हैं जिसमें एक्टर्स, डायरेक्टर्स, डीओपी, डांस डायरेक्टर, आर्ट डायरेक्टर्स, फाइट मास्टर, जूनियर आर्टिस्ट, इक्विपमेंटस, इन सबको साइन करना होता हैं। जब भी आप इन सब लोगों को साइन करो तो कोर्ट के स्टाम्प पेपर पर भी एग्रीमेंट करना बहुत ज़रूरी हैं । ताकि भविष्य में आपको कोई ब्लैकमेल न कर सके। अगर कोई करता हैं तो फ़िल्म एसोसिएशन के साथ आप कोर्ट तक आप जा सकते हैं।

04. पेमेंट मोड

उसके बाद अग्रीमेंट में आपको पेमेंट मोड को ज़रूर लिखना चाहिए कि कब और किस तरह से पेमेंट देना हैं। कभी भी उस मोड से बाहर जाकर पेमेंट नही करना चाहिए। सबसे ख़ास बात कभी भी काम ख़त्म होने से पहले पूरा पेमेंट नही करना चाहिए। बहुत से टीम के लोग तरह तरह के बहाने बनाके पैसे मांगने की कोशिश करेंगे, ऐसी परिस्थिति में आपको इमोशनल नही प्रोफेशनल बनाना पड़ेगा। नही तो एक बार पेमेंट देने के बाद आपको उनके पीछे पड़ना पड़ेगा।

05. अनुभवी प्रोडूक्शन मैनेजर

फ़िल्म मेकिंग के लिए सबसे अहम रोल अदा करता हैं प्रोडूक्शन मैनेजर का क्योंकि वही सारा ख़र्च करता हैं। अगर आपका प्रोडूक्शन मैनेजर ईमानदार और अनुभवी रहेगा तो हर जगह वो बजट को कंट्रोल करके रखेगा। क्योंकि बड़े एक्टर्स और टेक्नीशियन को छोड़ दे तो सारा ख़र्च किसको कितना देना चाहिए, किसका क्या बजट हैं, वो हर चीज़ का ख़्याल रखता हैं ताकि बजट से बाहर कुछ भी न जाये।

06. अनुभवी PRO

फ़िल्म निर्माण में PRO ( पब्लिक रिलेशन ऑफिसर) इनका भी बहुत बड़ा योगदान होता हैं। आपके PRO अगर जानकर हैं तो वो आपकी फ़िल्म को लोगों तक पहुँचा पायेगा। तभी  बयार आपकी फ़िल्म को नोटिस करेंगे। आपको अपने फ़िल्म के बजट का कम से कम 5 से 10% बजट पब्लिसिटी के लिए ज़रूर रखना चाहिए।

07. फ़िल्म की मार्केटिंग

सबसे पहला और अंतिम सबसे महत्वपूर्ण काम हैं फ़िल्म की मार्केटिंग। फ़िल्म बना लेना आसान हैं लेक़िन फ़िल्म को रिलीज़ करना, और बेचना बहुत ही महत्वपूर्ण होता हैं। इसलिए बनाने से पहले क्या मार्किट हैं, कौन कौन ख़रीदार हैं इसकी पूरी डिटेल्स जानकारी लेना बहुत ज़रूरी हैं। नही तो बनाने के बाद आपको जगह जगह भटकना पड़ेगा और अंत मे आप लागत से भी कम बजट में मज़बूरन फ़िल्म को बेचना पड़ेगा।

अगर आपका कंटेंट अच्छा हैं तो उम्मीद हैं कि आपको बायर मिल जाये, लेक़िन कभी कभी कंटेंट अच्छा होने के बाद भी बायर जान बूझकर आपको समय नही देते हैं और आप थककर कम बजट में बेचने को भी तैयार होना पड़ता हैं क्योंकि आपका कैपिटल उसमे ब्लॉक रहता हैं।

08. किसी भी अग्रीमेंट को सही से पढ़ना

कभी भी कोई अग्रीमेंट करने से पहले सारे टर्म और कंडिशन को अच्छी तरह से समय लेकर ज़रूर पढ़े नही बाद में आपको नुक़सान हो सकता हैं। कई बार हम विश्वास में साइन कर देते हैं बाद में हमें बहुत कुछ पता चलता हैं जो निर्माता के फ़ेवर में नही होता हैं।

09. अपनी टीम बनाना

हालाँकि पहली फ़िल्म में ये इतना आसान नही होता हैं लेक़िन अगर आप सही में एक फ़िल्म मेकर बनना चाहते हो, और फिल्मों से पैसा कमाना चाहते हो तो आपको अपनी एक टीम तैयार करनी चाहिए। जो हमेशा आपके प्रोडूक्शन के फ़ेवर में काम करना चाहता हो। टीम जितनी अच्छी होगी, उतना ही आप सफ़ल हो सकते हो अन्यथा आपको बार बार नुक़सान उठाना पड़ सकता हैं।

टीम में आपका डायरेक्टर , कैमरा मैन, फाइट मास्टर, डांस डायरेक्टर, प्रोडूक्शन मैनेजर, आर्ट डायरेक्टर, एडिटर, रिकार्डिस्ट, इक्विपमेंट सप्लायर, पीआरओ, ये सारे लोग जो वाकई में काम के प्रति ईमानदार हैं उनलोगों को अपनी टीम में जगह देनी चाहिए। ताकि जब भी आप फ़िल्म बनाओ तो ये लोग आपके साथ खड़े रहे।

10. सब्सिडी की पूरी जानकारी

अभी ख़ासकर रिजिनल फिल्मों को सब्सीडी मिलती हैं। बहुत सारे राज्य सब्सिडी देती हैं। सब्सिडी कैसे होती हैं उसका क्या प्रोसेस होता हैं, क्या क्या डॉक्यूमेंट होते हैं कई फ़ीस होती हैं इत्यादि की सारी जानकारी पहले से रखनी चाहिए। ताकि आप सही तरीके से सब्सिडी ले सको।

सारांश

उपर्युक्त बातें जो मैंने इस पोस्ट में शेयर किया हैं वो मेरा खुद का एक्सपेरिएंस हैं क्योंकि मैंने फ़िल्म बनाई थी, और जो जो परेशानी मैंने फेस किया था उसकी सारी जानकारी देने की कोशिश की हैं। वैसे सबकुछ आपके अनुभव पर निर्भर करता हैं लेक़िन अगर आप बिल्कुल नए हो तो इन सारी बातों का ख़याल रखकर आप एक सफ़ल फ़िल्म मेकर बन सकते हो।

उम्मीद करता हु इस पोस्ट से आपको कुछ न कुछ सहायता ज़रूर मिलेगी, फ़िर भी कोई सुझाव, सवाल हो तो आप कमेंट ज़रूर करें। साथ ही आप हमें इंस्टाग्राम, फ़ेसबुक, यूट्यूब पर भी फॉलो कर सकते हो।

जय हिंद

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